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6 चीज़ें जो खोल देंगी नसों का BLOCKAGE!

बढ़ते मोटापे के साथ एक बहुत ही प्रचलित अवस्था सामने आने लगी है जिसे हम नसों में ब्लॉकेज कहते हैं।

आइए हम कुछ तरीके जानते हैं जिससे इस समस्या का समाधान मिल सकता है।

पहले यह जानना जरूरी है कि यह समस्या आती ही क्यों है।

हमारी नसों के अंदर की परत को endothelial लेयर कहा जाता है। इसमें 4 तरह की अवस्थाएं उत्पन्न होती हैं

  • सूजन – आपकी नसों की सूजन आपकी नसों की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है और आपके अंगों में रक्त के प्रवाह को कम कर सकती है।
  • फाइब्रोसिस – फेफड़ों में वायुकोषों (Air Sacs) की सामान्य रूप से पतली, लेसदार दीवारें अब पतली और लचीली नहीं होतीं, बल्कि मोटी, कड़ी और जख्मी हो जाती हैं, जिसे फाइब्रोसिस भी कहा जाता है।
  • कैल्शियम का जमना – नसों का सख्त होना – हृदय रोग का मुख्य कारण है। यह रक्त वाहिकाओं में कैल्शियम के निर्माण के कारण होता है – जिसके परिणामस्वरूप कठोर और संकीर्ण धमनियां होती हैं। इसके बाद रक्त प्रवाह में रुकावट और हृदय संबंधी समस्याओं जैसी समस्याएं होती हैं।
  • Cholesterol का जमना – यदि आपका कोलेस्ट्रॉल बहुत अधिक है, तो यह आपकी धमनियों की दीवारों पर जमा हो जाता है। समय के साथ, इस बिल्डअप को एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है।

Blockage जानने का तरीका

हमारी नसों के अंदर क्या हो रहा है इसका सबसे अच्छा टेस्ट होता है

कैल्सिफिकेशन स्कैन

जो कि ज्यादा महंगा नहीं होता है।

स्कैन की मदद से हमारी नसों में कितना कैल्शियम या कोलेस्ट्रॉल जमा है पता लगाया जा सकता है।

यदि इस स्कैन में आपकी नसों में खराबी निकलती या निकली है तो आपके लिए यह आर्टिकल बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

नसों को साफ करने का तरीका

इंसुलिन

हमें इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि हमारा इंसुलिन सामान्य रहे।

इंसुलिन को सामान्य रखने के लिए हमें कार्बोहाइड्रेट खाना कम करना पड़ता है

इसके अलावा इंटरमिटेंट फास्टिंग भी एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।

इंसुलिन के कारण हमारी नसों में सूजन आ जाती है और

साथ ही एक clot भी बन जाता है जो AGE (advanced glycated end products) कहलाता है।

इस अवस्था में हमारी नसों के अंदर का प्रोटीन क्षतिग्रस्त हो जाता है।

विटामिन K2

हमें उन चीज़ों का उपयोग करना चाहिए जो विटामिन K2 से परिपूर्ण हो।

यदि आप मांसाहारी हैं तो कलेजी, अंडे विटामिन K2 का बहुत अच्छा स्त्रोत है।

यदि आप शाकाहारी है तो फर्मेंटेड सोयाबीन (natto) और मक्खन विटामिन K2 का अच्छा स्त्रोत है।

Vitamin K2 हमारी नसों से कैल्शियम को दूर रखता है।

Toco Trienols

यह किसी तरह का खाना नहीं है मगर एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट (anti-oxidant) है।

यह एक विटामिन बी कॉन्प्लेक्स है जो टोकॉफरोल से 50 गुना ज़्यादा असरदार है।

यदि आप हरी सब्जियां खा रहे हैं तो आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन-ई यानि टोकॉफरोल मिल रहा है।

परंतु यदि आपकी नसों में खराबी आ चुकी है तो tocotrienols उस अवस्था को और बिगड़ने से रोक देंगे।

यह हमें हर तरह के Free radicals के नुकसान से बचाते हैं।

Omega 3

हमें अपने खाने से हर तरह के रिफाइंड तेल (जो ओमेगा 6 फैटी एसिड से भरपूर होता है) को पूरी तरह से बंद करना चाहिए।

और उसकी जगह ओमेगा 3 फैटी एसिड लेना शुरू करना चाहिए।

Omega 3 सालमन मछली और कॉड लिवर ऑयल में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।

इसके अलावा अखरोट में भी ओमेगा 3 पाया जाता है।

पोटेशियम

नसों की जकड़न को कम करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

क्योंकि इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है।

जकड़न से राहत हम अपने खाने में अधिक मात्रा में पोटैशियम लेकर कर सकते हैं।

ज्यादातर लोग अपने खाने में इतनी मात्रा में सब्जी या सलाद नहीं खाते हैं जितना ज़रूरी होता है।

जिसके कारण शरीर में पोटेशियम की कमी बनी रहती है।

इस कमी को पूरा करने के लिए एक अच्छा इलेक्ट्रोलाइट पाउडर हम ले सकते हैं।

विटामिन डी

विटामिन डी हमारी नसों के लिए एक अमृत का काम करता है।

यह हमारे ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में बहुत अधिक मदद भी करता है।

परंतु विटामिन डी हमें खाने से प्राप्त नहीं हो सकता है इसके लिए सूरज की रोशनी या धूप ही एकमात्र विकल्प है।

इसके अलावा विटामिन डी हमें सप्लीमेंट से ही मिल सकता है।

लगभग 10,000 ius की मात्रा हमारे ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है।

विटामिन डी और पोटैशियम का कॉम्बिनेशन हमारी नसों के लिए अत्यंत ही लाभप्रद होता है।

इनके अलावा अनार भी हमारे बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

बढ़ता हुआ वजन बहुत सी समस्याएं अपने साथ ला सकता है। उन समस्याओं में ऐसी बहुत ही काम हैं जो जान लेवा साबित हो सकती है। नसों का ब्लॉकेज उन्हीं जान लेवा समस्याओं में से एक है। इसलिए यह बहुत ही ज़रूरी है की हम अपने स्वास्थ की जांच नियमित रूप से कराते रहें।

आज के समय में जब काम का बहुत अधिक दबाव होता है और lockdown के बाद जो हमारी जीवन शैली में भी जो परिवर्तन आया है यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है की हम अपने स्वास्थ का ध्यान दें और कसरत, स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि विकल्प अपनाते रहें।

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