अगर मैं पहले से स्वस्थ हूं तो क्या मुझे सप्लीमेंट्स लेने की ज़रूरत है?
यह वास्तव में एक अच्छा सवाल है।
हम जिस पहली चीज़ के बारे में बात करने जा रहे हैं वह यह है कि स्वस्थ क्या है?
स्वस्थ का क्या मतलब है? क्या इसका मतलब यह है कि आप किसी भी दवा पर नहीं हैं या आप अधिक वज़न वाले नहीं हैं?
आइए एक नज़र डालते हैं स्वास्थ्य की परिभाषा पर
एक स्वस्थ व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसके पास –
- अद्भुत ऊर्जा हो
- अच्छी नींद हो
- शरीर में कोई सूजन न हो
- अच्छा पाचन हो
- एड्रेनल ग्लैंड अच्छी तरह काम कर रहा हो
- हर चीज़ इष्टतम हो
ऐसे किसी व्यक्ति को खोजना बहुत ही दुर्लभ है, हम सभी के शरीर में समस्याएं चलती रहती हैं,
इसलिए यदि आपका स्वास्थ्य वास्तव में सही है तो फिर शायद आपको सप्लीमेंट्स की आवश्यकता नहीं है।
आइये हम उन कुछ चीज़ों पर नज़र डालते हैं जो आपके स्वास्थ्य पर असर डालती हैं और इन्हीं के कारण हम एक इष्टतम स्वस्थ शरीर पाने में थोड़ा पीछे रह जाते हैं।
Table of Contents
मिट्टी के पोषक तत्व
मिट्टी से ही सभी फसलें पोषक तत्वों को गृहण करती है।
हम जो भी अनाज कहते हैं उसकी गुणवत्ता उसमे मौजूद पोषण के आधार पर ही करते हैं।
अतः किसी भी फसल कि गुणवत्ता उसकी मिट्टी पर निर्भर करती है।
भारत में और दुनिया के अन्य हिस्सों में मिट्टी इतनी कम हो गई है कि उसका पोषण भी कम हो गया है।
मिट्टी की ऊपरी सतह जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है कभी मौसम की वजह से तो कभी मृदा अपरदन (soil erosion) से निकलती जाती है।
इस प्रकार उस मिट्टी में उपजने वाले अनाज में भी उतने पोषक तत्व नहीं आ पाते हैं।
ऐसा स्थान मिलना जहाँ पोषक तत्वों का उच्च स्तर हो, दुर्लभ हो गया है।
अगर मिट्टी खाली है तो भोजन भी खाली ही होगा।
यदि मिट्टी पोषक तत्वों को प्रदान नहीं करती है तो आप भोजन से इतने पोषक तत्व कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
खान-पान का इतिहास
यदि आपका जंक फूड खाने का पिछला इतिहास था,
तो आपकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति का आपके इतिहास से बहुत कुछ लेना-देना है।
जंक फ़ूड केवल शरीर को पोषक तत्वों से वंचित करता है, क्योंकि उसमें खुद ज़रूरी पोषक तत्व नहीं होते हैं
इसलिए आपको उस कमज़ोर कड़ी का समर्थन करने के लिए सप्लीमेंट्स की आवश्यकता होगी
जो आपके पाचन में पिछली समस्याओं से उत्पन्न हो रहे हैं।
ज़्यादातर जो समस्या इस कारण से होती है वह मोटापा होता है।
फ़ास्ट फ़ूड हमारे शरीर में जिस अंग पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है वह है लिवर। लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अंग होता है।
हमारे शरीर में फैट का पाचन और कार्बोहायड्रेट का भण्डारण दोनों ही लिवर में होते हैं।
इसलिए यदि लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो पूरे शरीर पर उसका असर दिखाई देता है।
एड्रेनल ग्लैंड (Adrenals)
यदि हमारे जीवन में थोड़ा भी तनाव आता है तो हमारे एड्रेनल ग्लैंड सबसे पहले उसका प्रभाव महसूस करते हैं।
एड्रेनल ग्लांड्स तनावपूर्ण स्तिथि में कोर्टिसोल नाम का हॉर्मोन निकलते हैं जिसे हम स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहते हैं।
यह हॉर्मोन हमारे शरीर में तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्य आरम्भ कर देता है।
परन्तु यदि अधिक समय के लिए यह हॉर्मोन सक्रिय रहता है तो तनावग्रस्त अड्रेनल्स की स्तिथि बन जाती है।
तनावग्रस्त अड्रेनल्स के कारण आपको
- सूजन की स्थिति बन सकती है
- पुरानी नींद की समस्या हो सकती है।
मान लीजिए आप कुछ सालों से तनावपूर्ण परिस्तिथियों से गुज़र रहे हैं
ऐसी स्थिति में हमारे अड्रेनल्स को सही तरह से कार्य करने के लिए बहुत से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
जिसमें पोटैशियम, विटामिन B1 इत्यादि आते हैं।
इसलिए आपको अपने आहार में सप्लीमेंट्स को शामिल करना होगा।
बी विटामिन और ट्रेस मिनरल्स वास्तव में इसलिए ज़रूरी हैं क्योंकि वे आपको खाने से नहीं मिलेंगे।
पर्यावरण
हम एक रासायनिक ग्रह में रहते हैं, हर साल पर्यावरण में नए रसायन उत्पन्न होते हैं, जिन्हें हम लगातार उजागर किये जा रहे हैं।
विभिन्न तरीकों से यह रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते रहते हैं। फसलों पे छिड़काव से लेकर हवा के प्रदूषण तक ऐसे बहुत से स्त्रोत हैं जिनके जरीये ये रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते रहते हैं।
तो इसका क्या परिणाम होगा?
ये रसायन हमारे एंडोक्राइन सिस्टम और हमारे लीवर पर बहुत खराब असर डालते हैं और ये हमारे पोषक तत्त्वों को अवशोषित (absorb) करने में व्यवधान डालते हैं।
इन रसायनों को नष्ट करने और साफ करने के लिए पोषक तत्व और भोजन, विशेष रूप से फाइटोन्यूट्रिएंट बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
परन्तु यदि हम सही मात्रा में सब्जियां नहीं खा पा रहे हैं तो हमारे शरीर से ये ज़हर रुपी रसायन नहीं निकल पाएंगे और हमें केवल आवश्यक पोषक तत्त्व मिल पाएंगे।
Recommended Dietary Allowance (RDA)
हमारे शरीर को हर रोज़ एक निर्धारित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसी जरूरी मात्रा को नापने के लिए RDA को निर्धारित किया गया।
RDA का मतलब होता है कि एक दिन में हमें कितने और कौन-कौन से पोषक तत्व किस मात्रा में आवश्वक हैं।
बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता है कि उनको रोज़ के ज़रूरी पोषक तत्त्वों के लिए कितना खाना खाना चाहिए।
जैसे पोटैशियम हमें 4700 mg/day लेना होता है, जिसके लिए 8-10 कटोरी सलाद खाना ज़रूरी है।
जो कि बहुत ही मुश्किल हो सकता है।
इसलिए इन कमियों को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स की आवश्यकता होगी।
सप्लीमेंट्स लेते समय एक चीज़ जो सबसे ज़रूरी होती है वह यह कि उनका स्रोत पूरी तरह से कार्बनिक (organic) होना चाहिए।
निष्कर्ष
सप्लीमेंट्स लेने का प्रयोजन हमेशा पोषक तत्वों को लेना नहीं होता अपितु हमारे शरीर को उस योग्य बनाना भी होता है जिससे वह खाने से पोषक तत्वों को ग्रहण कर सके।
हमारा खाना हमें हर तरह के पोषक तत्व देने में सक्षम है परन्तु उसकी भी कुछ सीमाएं हैं।
यदि हम उतनी मात्रा में खाना खा पा रहे हैं जिससे हम रोज़ के पोषक तत्वों की ज़रुरत को पूरा कर सकते हैं तो सप्लीमेंट्स की ज़रुरत नहीं पड़नी चाहिए।
यदि नहीं, तो ज़रूरी सप्लीमेंट्स लेना ही चाहिए।
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