दांतों में जब गंदगी की परत जमा हो जाती है, उसे मशीन की मदद से साफ करने को स्केलिंग कहते हैं।
जब हम खाना खाते हैं तो थोड़ी देर बाद आपने देखा होगा कि दांतों में
एक पतली हल्के पीले रंग की परत जम जाती है
जिसे plaque कहते हैं।
इसे ब्रश से साफ किया जा सकता है परंतु कई बार सही तरीके से ब्रश ना हो पाने के कारण कुछ जगह छूट जाती हैं
और बाद में यही परत सख़्त हो जाती है,
जिसे calculus कहते हैं।
कैलकुलस ब्रश से साफ नहीं हो पाता और इसे साफ करने के लिए स्केलिंग करनी पड़ती है।
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स्केलिंग क्यों करते हैं?
Plaque बैक्टीरिया (s.mutans) से भरपूर होता है
जिसके साफ ना होने के कारण बैक्टीरिया दांतों व मसूड़ों के बीच में घर बना लेता है और
आगे जाके calculus जो कि ठोस परत होती है,
उसमें परिवर्तित हो जाता है जिसके बाद मसूड़ों से खून आने लगता है,
बाद में यही पायरिया का भी रूप ले सकता है।
यही बैक्टीरिया दांतों में cavity का भी कारण बनते हैं।
ज़्यादा स्थिति ख़राब होने पर दांत निकलवाना भी पड़ सकता है।
स्केलिंग की प्रक्रिया
स्केलिंग मशीन के द्वारा की जाती है
जिसमें vibrating motion और water flow होता है
जिसकी मदद से plaque और calculus हटाया जाता है।
क्या स्केलिंग दर्दनाक होती है?
यह एक सरल प्रक्रिया होती है जो कि बिल्कुल दर्दनाक नहीं होती।
यदि आपके मसूड़ों की स्थिति ज्यादा ख़राब होती है तो
यह प्रक्रिया सुन्न करके की जाती है।
क्या स्केलिंग दांतों के लिए अच्छी होती है?
स्केलिंग दांतों के लिए लाभकारी होती है क्योंकि इससे मुंह के बैक्टीरिया की संख्या घटती है
जिससे मसूड़े व दांत स्वस्थ रहते हैं।
Gingivitis जैसी बीमारी नहीं होती और पायरिया से भी ग्रसित नहीं होते।
दांत मज़बूत रहते हैं और उनमें सड़न होने की संभावना भी कम हो जाती है।
Gingivitis क्या होता है?
Gingivitis एक प्रकार की बीमारी होती है जो कि मसूड़ों को प्रभावित करती है। इसमें निम्न संकेत देखने को मिलते हैं।
- मसूड़ों में सूजन आना
- उनमें से से खून निकलना (ये ज़्यादातर ब्रश करने के बाद होता है परंतु स्थिति बढ़ने पर निरंतर भी हो सकता है)
- मसूड़ों में दर्द होना
- Sensitivity महसूस होना।
- मुंह से बदबू आना
पायरिया
यदि gingivitis का समय पर इलाज नहीं होता है तो ये periodontitis यानी कि पायरिया में परिवर्तित हो जाता है।
पायरिया के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –
- मसूड़ों में अत्यधिक सूजन आना
- उनमें से खून के साथ-साथ पस निकलना
- मसूड़ों व दांतों में दर्द होना
- मसूड़ों का नीचे खिसकना
- दांतों में सेंसिटिविटी होना
- मुंह से बदबू आना
- दांतों का हिलना
- जबड़े की हड्डी का resorption (अवशोषण) होना।
- दांतों के बीच में gap आना।
क्या स्केलिंग से मसूड़े ख़राब होते हैं?
Scaling कराने से मसूड़ों में कोई दिक्कत नहीं होती
बल्कि हर 6 महीने में स्केलिंग कराने से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
स्केलिंग से केवल दांतों में जमी हुई परत को निकाला जाता है,
इससे दांतों को कोई नुकसान नहीं होता।
स्केलिंग के बाद कैसा महसूस होता है?
स्केलिंग कराने के बाद अक्सर दांतों में थोड़ी सेंसिटिविटी हो सकती है।
इसका कारण केवल यह है कि
Calculus मसूड़ों को नीचे की तरफ सरका देता है।
जब स्केलिंग के बाद calculus निकल जाता है तब दांत की रूट expose हो जाती है।
इसी के चलते सेंसिटिविटी होती है जो कि कुछ दिन ही होती है।
सफाई होने के बाद मसूड़े अपनी जगह पर वापस आने लगते हैं और यह परेशानी दूर हो जाती है।
स्केलिंग में कितना खर्च आता है?
यूं तो हर जगह का खर्च अलग होता है परंतु 800₹ से 2000₹ तक का ख़र्च आ सकता है।
मसूड़ों के नीचे खिसकने पर क्या करें?
जब पायरिया बढ़ जाता है तो मसूड़े नीचे खिसक जाते हैं और होने लॉस होने लगता है जिससे दर्द व सेंसिटिविटी होने लगती है।
यह स्केलिंग और रूट प्लेनिंग (deep scaling) की मदद से कुछ हद तक रोका जा सकता है। परन्तु स्थिति ज्यादा बढ़ जाने पर flap और gum surgery का सहारा लेना पड़ता है।
Flap surgery : इसमें डेंटिस्ट मसूड़े पर incision देते हैं और gums के भीतर जितने बैक्टीरिया हैं उनको साफ कर मसूड़ों को पुनः सिल देते हैं।
Gum surgery : इसमें मुंह के अन्य भाग से gum tissue को निकालकर ग्रसित भाग में सर्जरी की मदद से लगाया जाता है, जिससे मसूड़े अपनी जगह पर आ जाते हैं और bone loss की परेशानी से भी बचाव होता है।
Precautions
- नरम ब्रश का उपयोग करें।
- ब्रश को 2 मिनट से ज़्यादा ना करें।
- ब्रश को आगे-पीछे न चलाकर ऊपर-नीचे या गोल गोल घुमाकर चलाएं।
- माउथवॉश का प्रयोग करें।
- ज़्यादा ठंडा-गर्म खाने से बचें।
- दांतों के बीच में सफाई करने के लिए Floss का उपयोग करें।
- हर 6 महीने में स्केलिंग कराएं और जांच कराएं।
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