अगर आपको 1000 लोगों के सामने बिना तैयारी के तुरंत बोलने के लिए बुला लिया जाए
तो एक डर और बेचैनी का भाव उत्पन्न होगा।
इसी तरह के भाव को हम एंग्ज़ाइटी कहते हैं।
Anxiety ने हर एक की ज़िंदगी में जगह बनाई हुई है।
कुछ लोग इसे अच्छी तरह से संभाल पाते हैं पर कुछ लोग बिल्कुल भी इसमें सक्षम नहीं होते हैं।
एक बहुत ही दिलचस्प किताब “Autonomic Nerves” एंग्जाइटी के बारे में कुछ इस तरह समझाती है-
“Fight या flight प्रतिक्रिया एक फिज़ियोलॉजिकल रेस्पॉन्स होता है, किसी भी प्रकार के खतरे का जो हमारी सुरक्षा पर हो। खतरे की प्रकृति के अनुसार व्यक्ति या तो खतरे से लड़ता है (fight) या उससे भागता है (flight)। दोनों फाइट और फ्लाइट हमारी मसल की एक जोरदार क्रिया होती हैं।”
जब भी हमें लड़ना हो या भागना हो, दोनों ही परिस्थितियों में शरीर अपने आपको तैयार करता है।
इसी तैयारी के दौरान हमारे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, खून का संचार तेज़ हो जाता है, पसीना आने लगता है, गला सूखने लगता है और दिमाग सुन्न पड़ जाता है।
यही एंग्जायटी कहलाती है।
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एंग्जाइटी के लक्षण
- तेज़ी से दिल धड़कना
- पसीना आना
- कंपकंपी आना
- गला सूखना
- सांसे चढ़ना
- चक्कर आना/धुंधला दिखना
- जी मिचलाना
- चिड़चिड़ापन
- चिंता होना
- ध्यान भटकना
- दिमाग में कुछ ना आना
- नकारात्मक विचार आना
- नींद ना आना
जो लोग एंग्ज़ाइटी का शिकार होते हैं, उनमें देखा गया है कि उनका खानपान सही नहीं होता है।
बहुत से मामलों में देखा गया है की ऐसे लोगों में विटामिन B1 बहुत कम मात्रा में पाया गया है।
Anxiety को नियंत्रित कैसे करें
B-Vitamins
अगर आप बहुत अधिक मात्रा में विटामिन B1 लेते हैं तो आपको राहत महसूस होगी।
ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित करने के लिए विटामिन B1 महत्वपूर्ण है, जो एंग्जायटी के स्तर का एक महत्वपूर्ण कारक है।
एक अध्ययन में विटामिन बी1 को चिंता को शांत करने में मदद करने के लिए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System ) को प्रभावित करने के लिए देखा गया है।
B vitamins लेते समय हमें बस यह ध्यान रखना है कि वह नेचुरल हो ना कि सिंथेटिक।
Nutritional yeast एक बहुत अच्छा स्रोत है बी विटामिंस का।
Probiotics
Probiotics हमारे शरीर में बी विटामिन को बनाते हैं।
इसके अलावा वह अमीनो एसिड भी बनाते हैं जोकि न्यूरोट्रांसमीटर्स का काम करते हैं।
यह न्यूरोट्रांसमीटर हमें शांत रखने में और सोने में मदद करते हैं।
इसलिए
अगर आपके इंटेस्टाइन में कुछ भी दिक्कत है तो उसकी वजह से विटामिन BI नहीं बन पाएगा।
इसलिए एंजाइटी में Probiotics लेना एक अच्छा विकल्प है।
यह हमें फर्मेंटेड खाने से मिलता है।
मैग्नेशियम
Magnesium एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण element है जो हमें एंग्ज़ाइटी से बचाता है।
अगर आपको एंग्ज़ाइटी है तो बाहरी ट्रिगर्स जैसे
काम, लोग, टीवी आदि से आप बचना चाहेंगे।
इसमें मैग्नीशियम काफी मदद करता है और
हमारे adrenal gland को शांत रखने में मदद करता है।
यह आपको पालक, कद्दू, बादाम आदि से प्राप्त होता है।
Adaptogens
यह हर्बल प्रोडक्ट होते हैं
जो हमारे स्ट्रेस झेलने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
इनको लेने से हम ज़्यादा अच्छे तरीके से परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं।
क्या एंग्जायटी का आयुर्वेद में उपचार है?
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से, चिंता एक दोष असंतुलन है जहां तंत्रिका तंत्र में अतिरिक्त वात जमा हो जाता है।
अश्वगंधा
आयुर्वेद में अश्वगंधा का तनाव दूर करने के लिए बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, जो नियमित रूप से अश्वगंधा का सेवन करता है, “दीर्घायु प्राप्त करता है, युवावस्था प्राप्त करता है, तेज याददाश्त रखता है, रोग से मुक्त रहता है, एक घोड़े की तरह चमकदार रंग और ताकत रखता है।”
अश्वगंधा को तीखे मसालों और घी (स्पष्ट मक्खन) के साथ मिलाना उन लोगों के लिए एक पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार है जो चिंता से पीड़ित हैं।
शिरोधारा
यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक शरीर चिकित्सा है, जहां गर्म तेल की एक स्थिर, कोमल धारा को लगातार माथे पर डाला जाता है ताकि एक खराब तंत्रिका तंत्र को शांत करने और ठीक करने में मदद मिल सके।
आयुर्वेदिक शिक्षाओं के अनुसार, तेल का कोमल लेकिन निरंतर उपयोग मस्तिष्क और पिट्यूटरी ग्रंथि में स्वस्थ रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करता है, जबकि कुछ जड़ी-बूटियाँ और सार चिंता, माइग्रेन, अनिद्रा और नसों के दर्द के लक्षणों से राहत प्रदान कर सकते हैं।
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